सहारनपुर : परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के घर पहुंचने के सपने घोषित नीति के कारण चकनाचूर हो गए हैं। पांच वर्ष की नौकरी पूरी कर चुके शिक्षकों को ही नीति में लाभ मिल सकेगा। विशेष वर्ग के शिक्षकों को पांच वर्ष की बाध्यता से छूट दी गई है। माना जा रहा है कि यह प्रक्रिया पूरी होने के तत्काल बाद एक बार छूट के साथ प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है। शिक्षा मित्रों का समायोजन रद होने के स्कूलों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हुए है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत सैकड़ों शिक्षक घर वापसी का तानाबाना बुन रहे हैं। वर्ष-2011 की टीईटी प्रक्रिया में चयनित शिक्षकों को वर्ष-2015 में नियुक्तियां मिलनी आरंभ हुई थी। टीईटी की मेरिट के आधार पर हुई इन भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों में खासा क्रेज था। जिले में 600 से अधिक पदों पर प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक पदों पर नियुक्ति हुई थी। एक आंकलन के अनुसार जिले के 700 से अधिक अभ्यर्थी प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिक्षक नियुक्त हुए थे। फरवरी-2015 में छह माह के प्रथम प्रशिक्षण के लिए चयनित होने के बाद इन शिक्षकों को अक्टूबर-नवंबर तक नियुक्ति मिल सकी थी।
घर वापसी की ललक
गैर जिलों में कार्यरत जिले के निवासी शिक्षकों में नियुक्ति के बाद से ही घर वापसी की ललक शुरू हो गई। बताते चलें कि पूर्व में चली दो ऑनलाइन प्रक्रिया में इन शिक्षकों को तबादले का लाभ नही मिल सका था। पांच वर्ष की सेवा पूरी न होना इसका सबसे बड़ा कारण रहा था। कमोवेश 16 जनवरी से आरंभ हो रही ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया में भी न्यूनतम पांच वर्ष की शर्त को पूरा करना है इसके लिए 31 मार्च 2017 तक पांच वर्ष की बाध्यता रखी गई है। दिव्यांग अभ्यर्थियों, केन्द्रीय अर्धसैनिक बल, थल, वायु व जल सेना के कर्मियों के आश्रित पत्नियों को न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा से छूट मिलेगी।
नहीं मिल सकेंगे शिक्षक
विभागीय सूत्रों के मुताबिक गत दो अंतरजनपदीय तबादलों की प्रक्रिया में भी पांच वर्ष की शर्त रखी गई थी। इस समय सीमा की परिधि में आने वाले ज्यादातर शिक्षक जिले से तबादला ले चुके है। घोषित नीति एक कसरत से ज्यादा कुछ नही होगी।
प्रक्रिया के बाद संभावना
घोषित तबादला नीति से शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया फरवरी में पूरी कर ली जाएगी। सूत्र बताते है कि इस नीति के घोषित होने के साथ ही सरकार पर तबादले की समयावधि पांच वर्ष से कम करने का दबाव बना था लेकिन एक नीति तय हो जाने के बाद उसमें फेरबदल को मंजूरी नही दी गई। माना जा रहा है कि मौजूदा प्रक्रिया पूरी होने के तत्काल बाद नई तबादला नीति घोषित की जा सकती है। प्रदेश सरकार को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वर्ष-2014 को दोहराने की चुनौती है ऐसे में सपने संजोने वाले शिक्षकों की उम्मीद बाकी है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत सैकड़ों शिक्षक घर वापसी का तानाबाना बुन रहे हैं। वर्ष-2011 की टीईटी प्रक्रिया में चयनित शिक्षकों को वर्ष-2015 में नियुक्तियां मिलनी आरंभ हुई थी। टीईटी की मेरिट के आधार पर हुई इन भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों में खासा क्रेज था। जिले में 600 से अधिक पदों पर प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक पदों पर नियुक्ति हुई थी। एक आंकलन के अनुसार जिले के 700 से अधिक अभ्यर्थी प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिक्षक नियुक्त हुए थे। फरवरी-2015 में छह माह के प्रथम प्रशिक्षण के लिए चयनित होने के बाद इन शिक्षकों को अक्टूबर-नवंबर तक नियुक्ति मिल सकी थी।
घर वापसी की ललक
गैर जिलों में कार्यरत जिले के निवासी शिक्षकों में नियुक्ति के बाद से ही घर वापसी की ललक शुरू हो गई। बताते चलें कि पूर्व में चली दो ऑनलाइन प्रक्रिया में इन शिक्षकों को तबादले का लाभ नही मिल सका था। पांच वर्ष की सेवा पूरी न होना इसका सबसे बड़ा कारण रहा था। कमोवेश 16 जनवरी से आरंभ हो रही ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया में भी न्यूनतम पांच वर्ष की शर्त को पूरा करना है इसके लिए 31 मार्च 2017 तक पांच वर्ष की बाध्यता रखी गई है। दिव्यांग अभ्यर्थियों, केन्द्रीय अर्धसैनिक बल, थल, वायु व जल सेना के कर्मियों के आश्रित पत्नियों को न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा से छूट मिलेगी।
नहीं मिल सकेंगे शिक्षक
विभागीय सूत्रों के मुताबिक गत दो अंतरजनपदीय तबादलों की प्रक्रिया में भी पांच वर्ष की शर्त रखी गई थी। इस समय सीमा की परिधि में आने वाले ज्यादातर शिक्षक जिले से तबादला ले चुके है। घोषित नीति एक कसरत से ज्यादा कुछ नही होगी।
प्रक्रिया के बाद संभावना
घोषित तबादला नीति से शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया फरवरी में पूरी कर ली जाएगी। सूत्र बताते है कि इस नीति के घोषित होने के साथ ही सरकार पर तबादले की समयावधि पांच वर्ष से कम करने का दबाव बना था लेकिन एक नीति तय हो जाने के बाद उसमें फेरबदल को मंजूरी नही दी गई। माना जा रहा है कि मौजूदा प्रक्रिया पूरी होने के तत्काल बाद नई तबादला नीति घोषित की जा सकती है। प्रदेश सरकार को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वर्ष-2014 को दोहराने की चुनौती है ऐसे में सपने संजोने वाले शिक्षकों की उम्मीद बाकी है।
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