परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिला तबादले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। तबादले की विज्ञप्ति का प्रकाशन हो चुका है, और मंगलवार से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। हालांकि, यह प्रक्रिया छह माह पहले ही शुरू हो जानी चाहिए थी। शासन ने 13 जून, 2017 को ही आदेश जारी किया था, लेकिन पहले जिलों में शिक्षकों के समायोजन व स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की गई, जिस पर न्यायालय ने रोक लगा दी। इससे यह तबादले लटके रहे। अब अंतर जिला तबादलों में उन्हीं शिक्षकों को लाभ मिलेगा, जिन्होंने पांच वर्ष की सेवा पूरी कर ली है। वहीं, सरकारी सेवा में जो दंपती कार्यरत हैं उनको स्थानांतरण से काफी उम्मीदें लगी थीं लेकिन, राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। बहरहाल, प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इन पांच वषों की शर्तों पर भी तबादलों के पात्र कम नहीं होंगे। दिक्कत यह है कि प्रक्रिया ऐसे समय शुरू हुई है जब शिक्षा सत्र लगभग समाप्ति की ओर है।
परीक्षाओं आदि पर विशेष तौर पर ध्यान देने की जरूरत है। यह तो एक पहलू है, लेकिन गृह जिले में तबादलों की सहूलियत इसलिए दी जाती है, ताकि सरकारी सेवक चिंतामुक्त होकर बेहतर तरीके से कर्तव्य को निभा सके। ऐसा नहीं है कि यह तबादला प्रक्रिया पहली बार हो रही है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। बावजूद इसके प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधरने के बजाय गिरता ही जा रहा है। ऐसे में शर्त जरूर जोड़ी जानी चाहिए कि तबादला परफामेर्ंस आधारित होगा। हर शिक्षक के अलग अलग आकलन की व्यवस्था बनानी होगी। तबादले की सहूलियत पाकर भी शिक्षक बेहतर परफारमेंस नहीं दे पाता है तो तबादला निष्प्रभावी कर दिया जाए। यानि अन्य जिले में अनिवार्य तबादले की सूची में ऐसे शिक्षकों को रखा जा सकता है। वैसे अब तो प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, पर जितनी जल्दी इसे निपटा लिया जाए बेहतर है, ताकि नए सत्र की शुरुआत के साथ ही तबादला पाए शिक्षक अपने निर्धारित स्कूलों में पहुंच जाएं। यह प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी रखनी पड़ेगी। ऐसी किसी भी प्रक्रिया में सिफारिशों का दौर शुरू हो जाता है। इससे बचना होगा। अब कोई ऐसा कार्य नहीं होना चाहिए, जिससे फिर कोई कानूनी अड़चन पैदा हो।
[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]
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