Thursday, October 12, 2017

केंद्र सरकार ने दिया दीपावली का बड़ा तोहफा: उच्च शिक्षण संस्थानों के कर्मियों का बढ़ा वेतन

नई दिल्ली 1देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों को केंद्र सरकार ने दीपावली का बड़ा तोहफा दिया है। इन संस्थानों में काम करने वाले करीब आठ लाख से ज्यादा शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों को अब हर महीने 22 से
28 फीसद तक बढ़ा हुआ वेतन मिलेगा। इस बढ़ोतरी के बाद सहायक प्राध्यापकों का वेतन अब 47 से बढ़कर 57700 रुपए होगा, जबकि इन संस्थानों में पढ़ाने वाले वरिष्ठ प्रोफेसर का वेतन 1.46 लाख से बढ़कर 1.82 लाख के करीब हो गया है। कुलपतियों का वेतन 1.75 लाख रुपये से बढ़कर 2.25 लाख रुपये हो जाएगा। बढ़ा हुआ वेतन एक जनवरी 2016 से मिलेगा।1प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई है। फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि पिछले कई सालों से केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों और राज्य सरकार के अधीन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ा रहे अध्यापक और कर्मचारी अब तक इससे वंचित थे। उन्होंने बताया कि इसे लेकर एक कमेटी गठित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया गया है। 1106 केंद्रीय और राज्यों के 329 विश्वविद्यालयों को फायदा : उन्होंने बताया कि इसका लाभ केंद्र सरकार के अधीन सभी 106 विश्वविद्यालय और कॉलेज के अलावा राज्य सरकार के अधीन 329 विश्वविद्यालयों को भी मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को बढ़ा हुआ यह वेतन एक जनवरी 2016 से मिलेगा। इसके तहत अकेले केंद्रीय संस्थानों पर 9800 करोड़ का खर्च आएगा। जो केंद्र अकेले वहन करेगा। इसके अलावा राज्यों पर पड़ने वाले भार में भी केंद्र नए फंडिंग पैटर्न के तहत राज्यों को मदद देगा। इस दौरान जावड़ेकर ने बताया कि इस बढ़ोतरी के बाद उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के वेतन में 10400 से लेकर 49800 रुपए तक की बढ़ोतरी हो जाएगी। 1सिफारिश इससे कम बढ़ोतरी की थी : खास बात यह है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को सातवें वेतन आयोग देने के लिए यूजीसी ने काफी समय पहले ही एक कमेटी गठित की थी। पिछले दिनों कमेटी ने यह रिपोर्ट मंत्रलय को दी थी। इसके तहत 18 से 20 फीसद तक वेतन बढ़ाने की सिफारिश की गई थी। इसका विवि के शिक्षक संगठनों ने विरोध भी जताया था। इसके बाद मंत्रलय ने इसकी नए सिरे से समीक्षा करने को कहा था।

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