हाँ तो जी हुआ यूँ कि जिस मामले (862 के सामान आंकते हुए और कम अंकों वालों का हो गया ज्यादा वालों का नहीं हुआ) में हमें पार्टी बनाया गया था एकल पीठ में और हमारी याचिका अखिलेश पांडेय नामक पेप्सोडेंट
मतलब रेस्पोंडेंट के साथ जाकर कनेक्ट हो गई थी | उस पर एकल पीठ का आदेश आ गया जिसके आखिरी सफे में बघेल साहब ने आदेश को क्लियर कर दिया है :-
मा० सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश/आदेश के पश्चात, वर्तमान न्यायालय ने पाया कि जो राहत 7 दिसंबर 2015 के अंतरिम आदेशानुसार उन 862 याचियों के सापेक्ष याची (वर्तमान कोर्ट में) मांग रहे हैं वो गलत है | उपरोक्त आदेश के अनुसार समस्त भर्ती 66655 , 862 के समेत को मा० सर्वोच्च न्यायालय ने भी परेशान करने से मना किया है | अतः इस न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र के अनुसार कोई/कुछ भी (नियुक्तियां 862 की) अवैध नहीं ठहराई जा सकती हैं चाहे कोई भी नियुक्त हो समस्त अंतरिम आदेशानुसार |
Leave next para not for 862 candidates it's for remaining vacant posts
उपरोक्त कारणों के साथ/मद्देनजर याचिका का कोई मेरिट नहीं है इसलिए खारिज की जाती है |
हर हर महादेव 🚩🚩🚩🚩🚩
धन्यवाद
📝हिमांशु राणा
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