Tuesday, February 14, 2017

Shikshamitra : शिक्षामित्र मामले में दखल नहीं देगी सरकार , शीर्ष कोर्ट के फैसले के बाद ही केंद्र सरकार बढ़ाएगी कदम

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : युवाओं को लुभाने के बजाए केंद्र सरकार का पूरा जोर गुणवत्तापरक शिक्षा पर है। इसीलिए शिक्षामित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी से छूट देने की मांग खारिज कर दी गई है। सरकार का दावा है कि इससे शैक्षिक गुणवत्ता में कमी आएगी। वहीं, शिक्षामित्रों के प्रकरण पर केंद्र सरकार तब तक कोई दखल नहीं देगी, जब तक कि शीर्ष कोर्ट अंतिम निर्णय नहीं सुना देता। 1बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त शिक्षामित्र अब भी टीईटी से छूट देने की मांग कर रहे हैं, जबकि समायोजित हो चुके और समायोजन की लाइन में खड़े अधिकांश शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण हैं। बीते 12 नवंबर को उन्नाव के सांसद ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया कि शिक्षामित्रों को पैरा टीचर मानते हुए उन्हें टीईटी से छूट दी जाए। इस पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्राथमिक स्तर पर शिक्षक के रूप में नियुक्ति की पात्रता के लिए एनसीटीई ने इसे लागू किया है। इसके तहत टीईटी उत्तीर्ण करना हर उस अभ्यर्थी के लिए अनिवार्य है जो शिक्षक बनना चाहता है। इसका मकसद शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय मानक निर्धारित करना है। सरकार का पूरा जोर शैक्षिक गुणवत्ता को बेहतर करना है। 1केंद्रीय मंत्री ने यह भी लिखा है कि शिक्षामित्रों का समायोजन इलाहाबाद हाईकोर्ट रद कर चुका है। इसके विरुद्ध सरकार ने विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। इस मामले में आगे की कार्रवाई शीर्ष कोर्ट के अंतिम फैसले के बाद ही की जाएगी।

शिक्षक पात्रता परीक्षा से छूट देने से प्रभावित होगी पढ़ाई की गुणवत्ता 

शीर्ष कोर्ट के फैसले के बाद ही केंद्र सरकार बढ़ाएगी कदम

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