जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : वर्तमान परिवेश में रक्षा, चिकित्सा तथा शिक्षा क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान है। आज का दौर एकीकरण का है, जिसमें शिक्षा के साथ संचार एवं संवाद भी जरूरी है। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की विज्ञान विद्याशाखा में मंगलवार को आयोजित ‘इमर्जिग ट्रेंड्स इन आइसीटी’ विषयक सेमिनार में मंगलवार को आरएएफ कमांडेंट दिनेश सिंह चंदेल ने बतौर मुख्य अतिथि यह बातें कही। 1सूचना प्रौद्योगिकी एवं सोशल मीडिया के बारे में उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मात्रत्मक एवं गुणात्मक दोनों ही रूपों में सूचना की जरूरत है, ऐसे में आवश्यकता है कि सोशल मीडिया में जो भी तथ्य डाले जाएं वे विश्वसनीय हो। उन्होंने जीवन की सरलता एवं एकीकरण पर जोर देते हुए कहा कि आइसीटी के प्रयो
ग के साथ हमें वर्तमान में संस्कृति एवं सभ्यता को भी एकीकृत करना होगा। सूचना, पैकेजिंग, डिजाइनिंग और संरचना जितना सरल होगी उतनी ही तकनीकी और आइसीटी मानव के लिए उपयोगी होगी। अध्यक्षता कर रहे प्रो. आरपी मिश्र ने तकनीक और आइसीटी के महत्व पर चर्चा करते हुये बताया कि वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी लोगों को ज्ञान दे रही है लेकिन संस्कारों के लिए अतीत से लेकर वर्तमान तक शिक्षकों के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता। तकनीक ज्ञान दे सकती है लेकिन उसकी अपनी सीमाएं हैं। 1कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व भारत की संस्कृति को महत्व दे रहा है हमें भी अपनी संस्कृति एव सभ्यता का आदर करते हुए नयी तकनीक को सीखना चाहिए। स्वागत डॉ. दिनेश गुप्त ने किया। संचालन संयोजक डॉ. श्रुति एवं आभार डॉ. मनोज बलवंत ने ज्ञापित किया। इस दौरान मारिषा, डॉ. मनोज सिंह, डॉ. विवेक सिंह, प्रो. विनोद आनंद तिवारी, प्रो. एमएम गोरे, डॉ. अनिल सिंह, डॉ. आशुतोष गुप्त ने विचार व्यक्त किए।
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